Saturday 30 January 2021

🌺🌺 नया जन्म - भाग 8 🌺🌺

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गुड इवनिंग मरियम.... 

गुड इवनिंग ममता सिस्टर, आप इस वक्त यहां.... आपकी तो कल मार्निंग शिफ़्ट है ना !!!! 

हां.... वो दरअसल अनाहिता के लिए खाना लाई थी और कल उसे डिस्चार्ज भी करवाना है तो सोचा आज रात यहीं रूक जाती हूँ। 

अनाहिता से याद आया सिस्टर... उसके बगल वाले रूम में जो शर्मा जी एडमिट थे ना, उनके भाई आज अनाहिता के पेरेंट्स के बारे में पूछ रहे थे। 

क्यों.....??? 

पता नहीं.... पर जैसे ही मैंने बताया, बहुत उदास हो गये। 

अच्छा..... ठीक है, देखती हूँ। 

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प्राइवेट वार्ड, जिसे कोरोना वार्ड में तब्दील कर दिया गया था। उसके स्टाफ़ रूम में कुसुम सिस्टर और विभा सिस्टर बहुत गंभीर मुद्रा में बैठी थीं। 

गुड इवनिंग विभा, गुड इवनिंग कुसुम.... 

अरे ममता दीदी आप.... आपकी तो कल की शिफ़्ट है ना...!!! 

हां भाई, कल की ही शिफ़्ट है। पहले मुझे दो मिनट सुकून से बैठने तो दो और तुम लोग भी बैठ जाओ, फिर करना सवाल - जवाब। 

हे भगवान! आज तो बहुत थक गई मैं। इस मुए कोरोना की वजह से सारे ट्रांसपोर्ट बंद हो गए हैं, पैदल ही आना-जाना पड़ा मुझे। ऊपर से ये रास्ते में पुलिस वालों ने बहुत परेशान किया। बार - बार बताना पड़ रहा था कि भाई, हाॅस्पिटल स्टाफ़ हूँ, ड्यूटी करके लौट रही हूँ। बिना आई कार्ड दिखाए, मान ही नहीं रहे हैं। कसम से, इतने इंट्रो तो मेरे स्कूल से लेकर काॅलेज तक में नहीं हुए जितना आज सुबह जाने और शाम को आने में हुए हैं।

एक तो बिल्कुल भी रेस्ट नहीं मिल पाया, शायद इसीलिए हरारत सी लग रही है। यहां से जाने के बाद भी सारा दिन घर के कामों में और अनाहिता के लिए रूम प्रिपेयर करने में लग गया।

अनाहिता के लिए रूम प्रिपेयर करने में मतलब.... विभा सिस्टर ने आश्चर्य से पूछा। 

अरे हाँ, मैं तुम लोगों को बता ही नहीं पाई। दरअसल अब अनाहिता पहले से काफ़ी बेटर है और ये कोरोना का चक्कर तो तुम लोग देख ही रहे हो इसलिए मैंने डिसाइड किया है कि अनाहिता अब मेेेरे साथ रहेगी। वो भी काफ़ी एक्साइटेड है.... और सच कहूँ तो अब मैं मेरी बच्ची को लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। 

इसका मतलब अनाहिता सच कह रही थी..... मुझे तो लगा कि....!!!! 

क्या लगा तुम्हें कुसुम........ तुम दोनों इतनी परेशान क्यों हो ??? जब से आई हूँ, देख रही हूँ.... मैं लगातार बोले जा रही हूँ और तुम दोनों हाँ, हूँ तक नहीं कर रहे हो। बैठ भी नहीं रहे हो। 

कोई सिरीयस बात है क्या, अनाहिता ठीक तो है ना...!!!

हाँ दीदी, वो दरअसल सुरेंद्र शर्मा, जो अनाहिता के बगल वाले रूम में एडमिट थे। आज उनकी डेथ हो गई। 

ओह..... बहुत बीमार थे बेचारे। सच कहूँ तो अच्छा ही हुआ, मुक्ति मिल गई उन्हें। लेकिन अभी सुबह तक तो स्टेबल थे फिर अचानक से क्या हुआ....!!!! 

अच्छा मिo शर्मा से याद आया; रिसेप्शन पे मरियम अभी बता रही थी कि उनके छोटे भाई अनाहिता के पेरेंट्स के बारे में पूछ-ताछ कर रहे थे और पता चलने पर काफ़ी मायूस भी हो गए थे। तुम लोगों को कुछ पता है इस बारे में....!!!! 

ओह माई गाॅड, मतलब वो लोग वाकई उसके रिश्तेदार थे...... विभा सिस्टर ने गहरी सांस भरते हुए कहा। 

रिश्तेदार थे मतलब...... आख़िर बात क्या है, तुम लोग क्लियर बताते क्यों नहीं..???? 

विभा और कुसुम सिस्टर ने एक-दूसरे की ओर बेबस नज़रों से देखा। फिर कुसुम सिस्टर ने उन्हें आंखों देखा हाल बता दिया। 

हे राम! क्या कसूर है उस फूल सी बच्ची का, जो ये सब झेलना पड़ रहा है उसे.... परेशान हो गईं ममता सिस्टर। 

अब मैं एक पल के लिए भी अन्नी को यहाँ नहीं रख सकती। मैं अभी, इसी वक्त उसे लेकर घर जा रही हूँ। पेपर वर्क बाद में भी हो सकता है। दृढ़ कदमों और विचार से खड़ी हो गईं ममता सिस्टर। 

रूकिये दीदी, अनाहिता को नींद का इंजेक्शन लगा है। वो सुबह से पहले होश में नहीं आएगी... विभा सिस्टर ने कहा। 

कोई बात नहीं, मैं उसे ऐसे ही लेकर जाऊंगी। कल की सुबह मेरी बच्ची अपने घर में आंखें खोलेगी। 

कुसुम, मनीष से एंबुलेंस रेडी करने बोलो। 

दीदी आप अनाहिता को तब तक कहीं नहीं ले जा सकतीं, जब तक उसकी रिपोर्ट्स निगेटिव नहीं आ जातीं.... कुसुम सिस्टर ने गंभीरता से कहा। 

कैसी रिपोर्ट्स कुसुम, क्या हुआ है अनाहिता को...??? 

मिo नरेंद्र शर्मा की डेथ कोरोना से हुई है। आज सुबह ही उनकी रिपोर्ट आई थी। यही नहीं, उनका परिवार भी कोरोना पाज़िटीव था। 

था मतलब.... ममता सिस्टर की भवें सिकुड़ गईं। 

जैसा कि मैंने बताया, उनकी पत्नी उसी वक्त एक्सपायर हो गई थीं जब वो अनाहिता के पास थीं। उनके छोटे भाई और उनकी पत्नी को क्वारंटाईन किया गया था। जब शाम को केशव उनकी चाय और नाश्ता लेकर गया तो मिo सुरेंद्र अपनी पत्नी की गोद में सर रखकर लेटे लेटे हुए थे। उन दोनों की आंखें एकटक छत की ओर देख रही थीं। 

केशव ने कई बार आवाज़ लगाई पर कोई मूवमेंट न देखकर भागता हुआ हमें बताने आया। बहुत ही दिल दहलाने वाला नज़ारा था दीदी। वो दोनों भी...... 

अभी दो घंटे पहले उन सबकी रिपोर्ट आई है। उनका पूरा परिवार कोरोना पाज़िटीव था और वो सभी अनाहिता के क्लोज़ काॅन्टैक्ट में थे इसलिये अनाहिता भी कोरोना सस्पेक्ट है।

नहीं..... सुनते ही लड़खड़ा गईं ममता सिस्टर। 

मिo शर्मा के इलाज में जितने भी स्टाफ़ उनके काॅन्टैक्ट में आए थे, वो सब कोरोना सस्पेक्ट हैं, आप भी दीदी..... आख़िरी शब्द बहुत मुश्किल से कह पाईं कुसुम सिस्टर। 

इन शब्दों ने ममता सिस्टर की सारी उम्मीदों, सारे सपनों को तोड़ कर रख दिया। वो बेजान-सी हो गईं। 

दीदी, संभालिये खुद को....  कुसुम और विभा सिस्टर के मुंह से एकसाथ ये शब्द निकले पर इस बीमारी के ख़ौफ़ ने उन्हें ममता सिस्टर को संभालने को आगे बढ़ने से रोक दिया। 

दीदी प्लीज़, ऐसे हिम्मत मत हारिये। आप तो हम सबके लिए मिसाल हैं। जब भी कभी टूटते हैं तो आपको याद करके फिर से खड़े होने की ताकत मिलती है। अगर आप ही ऐसे निराश हो जाएंगी तो अनाहिता को कौन संभालेगा...!!!! 

विभा मुझे अन्नी से मिलना है.... बस एक बार, प्लीज़। हाथ जोड़कर विनती करते हुए ममता जी ने कहा। 

ये आप क्या कर रही हैं दीदी..... आप तो खुद एक नर्स हैं, अच्छे से जानती हैं ये सारी सिचुएशन। होश में आईए...... इस वक्त अनाहिता से मिलना आप दोनों के लिए जान के लिए ख़तरा बन सकता है। 

तुम सही कहती हो विभा, मैं मेरी बच्ची से मिल तो नहीं सकती पर उसे दूर से देख तो सकती हूँ ना, प्लीज़..... आंखों में आंसू भरे हुए ममता जी ने दोबारा विनती की। 

इस वक्त एक सिस्टर इंचार्ज पर माँ हावी थी और माँ की पुकार तो भगवान भी नहीं टाल पाया..... ये तो फिर भी इंसान थे। 

आइए दीदी, पर आप किसी भी चीज़ को टच नहीं करेंगी और ना ही अनाहिता के रूम में जा सकती हैं। आपको दरवाज़े से ही देखना होगा उसे.... कुसुम सिस्टर ने कहा।

भारी मन से उठीं ममता जी पर चक्कर आ गया और फिर से चेयर पर बैठ गईं। उनकी ये हालत देखकर दोनों सिस्टर की आंखें भी नम हो गईं। 

कुछ देर के लिए सब ठहर सा गया। थोड़ी देर बाद अपनी बची-खुची ऊर्जा समेट कर ममता जी फिर खड़ी हुईं..... चलो कुसुम। 

जो ममता सिस्टर अपनी तेज़ चाल के लिए पूरे हाॅस्पिटल में प्रसिद्ध थीं, आज किसी वृद्ध की भांति धीरे-धीरे चल रही थीं। 

उन्होंने दरवाज़े के कांच से देखा, अनाहिता गहरी नींद में थी। सोते हुए कितनी मासूम लगती है ना मेरी बच्ची, कुसुम...... हाँ दीदी, दूर खड़ी कुसुम सिस्टर ने आंसू रोकते हुए जवाब दिया। 

आप चिंता मत कीजिए, हम कुछ नहीं होने देंगे आप दोनों को। पूरा हाॅस्पिटल जान लगा कर आप दोनों की सेवा करेगा। अब तक आपने हम सबको बड़ी बहन की तरह संभाला है, अब हमारी बारी है अपना फर्ज़ निभाने की। ये वादा है हमारा आपसे.... 

मेरी अन्नी का ख़्याल रखना कुसुम...... आंखों से ही अनाहिता को चूमकर मुड़ गईं ममता जी। 

उधर नहीं, इस तरफ़ चलिये दीदी..... आपका भी सैंपल लेना है। बिना कुछ कहे ममता जी सर झुकाए उस दिशा में चल दीं। 

दिनेश, स्टाफ़ रूम और ये सब तुरंत सैनिटाइज़ करो.... पीछे आ खड़े वार्डब्वाॅय को इंस्ट्रक्शन देकर कुसुम सिस्टर ममता जी के साथ हो लीं। 

उनका सैंपल लेकर और एडमिट कर जब वापस लौटीं तो विभा सिस्टर को सर झुकाए बैठा पाया। 

दीदी को 101 डिग्री फ़ीवर है विभा। उनके सिम्प्टम दिखने शुरू हो गए हैं। 

सुनते ही विभा सिस्टर चौंक पड़ी। ये सब क्या हो रहा है कुसुम..... अपने पंद्रह साल के कैरियर में मैंने खुद को इतना बेबस और लाचार कभी महसूस नहीं किया। बीमारियाँ पहले भी आईं, लोग बीमार हुए। कई जान से भी गए पर तब इतना बंधा हुआ फ़ील नहीं किया जितना आज कर रही हूँ। 

मेरी ममता दीदी, मेरे आगे रो रही थीं, हाथ जोड़कर विनती कर रही थीं पर मैं उन्हें बढ़कर गले नहीं लगा सकी, उन्हें ढांढस नहीं बंधा सकी कि दीदी, आप फ़िक्र मत किजिए। हम सब हैं आपके साथ..... 

तुम जानती हो ना कुसुम, उन्होंने मेरे लिए क्या कुछ नहीं किया है और मैं, मैं कुछ नहीं कर पा रही हूँ उनके लिए..... फूट-फूटकर रो पड़ीं विभा सिस्टर। 

इतनी देर से खुद को पत्थर किये बैठीं कुसुम सिस्टर के जज़्बात भी आंखों के रास्ते बह निकले। 

ये वही स्टाफ़ रूम है जो कभी स्टाफ़ नर्सेज़ की हँसी से गुलज़ार हुआ करता था। कभी ओवर देते वक्त सीरियस हो जाता था तो कभी गुपचुप गाॅसिप का केंद्र बन जाता था। मगर आज यहां सन्नाटा पसरा है....... मौत का सन्नाटा............ 


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✍️✍️ प्रियन श्री ✍️✍️

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