Saturday, 20 February 2021

🌺🌺 नया जन्म - ( भाग 9 ) 🌺 🌺



नींद खुली तो लगा जैसे कई दिनों बाद आँख खुली हो। सर भारी था और सब कुछ धुंधला-सा दिख रहा था। बार-बार पलकें झपकाईं तो समझ आया कि अभी भी हाॅस्पिटल में हूँ। 

मम्मा....... मैंने आवाज़ लगाई। अनायास ही निकले इस शब्द ने बेहोशी से होश में ला दिया। पलटकर बेड पर देखा, मम्मा वहाँ नहीं थीं पर सामने खिड़की से सूरज कमरे में घुसने की कोशिश कर रहा था। मैंने घड़ी को घूरा, उसने तुरंत बताया...... बारह बजकर चालीस मिनट। 

कितनी देर तक सोती रही मैं.... और ये मम्मा कहाँ चली गईं। आज तो हम घर जाने वाले थे। पता नहीं मम्मा रात को आईं भी थी या नहीं....!!! नहीं, नहीं.... वो ज़रूर आई होंगी। मैंने पूरे कमरे में निगाह दौड़ाई, सब कुछ यथावत् था। सुबह से मम्मा की ड्यूटी है, शायद इसीलिए वो पैकिंग नहीं कर पाई होंगी और सामान ही कितना है.... पहले जल्दी से तैयार हो जाती हूँ फ़िर फ़टाफ़ट पैकिंग भी कर लूंगी। 

आलसी कभी नहीं थी मैं पर आज तो सारे काम इतनी फ़ुर्ती से कर रही थी कि राणा प्रताप के घोड़े चेतक को भी मात दे दूँ। ज़िन्दगी में आख़िरी बार कब इतनी एक्साइटेड हुई थी, मुझे ख़ुद भी याद नहीं। 

आधे घंटे में फ़ुर्सत होकर मैं बेड पर बैठ गई। सामान वाले बैग को ऐसे पकड़ रखा था जैसे छोटे - छोटे बच्चे स्कूल के आख़िरी पीरियड में बैठते हैं, कि बस अभी घंटी बजेगी और छुट्टी...............।

थोड़ी देर बाद मैंने दुबारा समय देखा, एक बजकर बीस मिनट हो रहे थे। दो बजे ड्यूटी ख़त्म होगी मम्मा की और उसके बाद ओवर देकर यहां आने में दस मिनट और लगेंगे यानि अभी पचास मिनट और.................।  

हे भगवान ! कैसे कटेंगे ये पचास मिनट...!!!! मम्मा को फोन करके बोलती हूँ कि आज जल्दी छुट्टी कर लें या.... मैं ही उनके पास चली जाती हूँ, कितनी खुश हो जाएंगी वो मुझे तैयार देखकर। वर्ना यहां बैठे-बैठे तो मैं पागल ही हो जाउंगी। मैंने बैग में से फोन निकाला। लास्ट डायल पर अब भी ममता सिस्टर शो कर रहा था। मेरी बेचैनी मुस्कान में तब्दील हो गई। 

द नम्बर यू हैव काॅल्ड इज स्विच्ड आफ़, प्लीज़ ट्राय लेटर...... 

ये मम्मा का फ़ोन बंद क्यों बता रहा है, कहीं नेटवर्क प्राॅब्लम तो नहीं....!!!! 

मैंने लगातार कॉल की पर हर बार फ़ोन बंद। मेरी बेचैनी बढ़ गई। मैं भी कितनी बेवकूफ़ हूँ.... कल कितना हेक्टिक डे था उनके लिए, भूल गई होंगी फोन चार्ज करना। पर यहां बैठा भी तो नहीं जा रहा। बाहर चलकर पता करती हूँ कि मम्मा कहाँ हैं....!!! 

हर रोज़ मरीज़ों और उनके तीमारदारों से अटा रहा रहने वाला काॅरिडोर आज बिल्कुल ख़ाली था। एक अजीब सा डर मन में चुपके से पैठ गया लेकिन घर जाने की खुशी ने उसे नज़रअंदाज़ कर दिया। स्टाफ़ रूम की तरफ़ बढ़ते हुए मेघना सिस्टर की आवाज़ सुनाई दी। मन को थोड़ी तसल्ली मिली। 

गुड मॉर्निंग सिस्टर, आपने मम्मा को देखा क्या..... मैंने कदम अंदर रखते ही पूछा। 

पीपीई किट पहने दोनों में से मेघना सिस्टर को पहचानना जितना मुश्किल था, उतना ही शायद उनका मुझे पहचान पाना था। तभी तो वो मुझे एकटक देखें जा रही थीं। शायद इसलिए क्योंकि मुझे इस रूप में पहली बार देखा था उन्होंने। 

सिस्टर मैं अनाहिता...... मैं मम्मा, आई मीन ममता जी को ढूंढ रही हूँ। दरअसल उनका फ़ोन बंद जा रहा है और आज हमें घर निकलना है तो.... आप बता सकती हैं इस वक्त वो कहाँ होंगी !!! 

उन दोनों ने एक-दूसरे की तरफ़ देखा जैसे आंखों ही आंखों में कुछ बात की हो। 

ममता दीदी तो आज आई ही नहीं अनाहिता.... ये मेघना सिस्टर की आवाज़ थी। 

आज नहीं सिस्टर, वो कल रात ही आई होंगी। आप तो सुबह आई हैं ना, शायद इसलिये आपको पता नहीं।

नहीं अनाहिता, वो आई होतीं तो मुझे ज़रूर पता होता।

पर वो तो कल शाम को ही आने वाली थीं। आज मार्निंग ड्यूटी भी है उनकी, बताया था उन्होंने मुझे..... आपकी बात हुई है क्या उनसे, कुछ बताया क्यों नहीं आईं वो....!!! मैंने कई बार काॅल की पर उनका नंबर बंद जा रहा है। वो ठीक तो हैं ना सिस्टर, कोई प्राॅब्लम है क्या...??? घबराहट के मारे एक ही सांस में बोल गई। 

मुझे परेशान देखकर वो दोनों भी परेशान, कभी एक-दूसरे को देखतीं तो कभी मुझे। 

रिलैक्स अनाहिता, घबराने की कोई बात नहीं है। दरअसल ममता दीदी की तरफ़ कल से आवाजाही बिल्कुल रोक दी गई है और कल शाम से बिजली भी नहीं है उस एरिया में, इसीलिए उनका फ़ोन डिस्चार्ज हो गया होगा.... किरन सिस्टर ने समझाने की कोशिश की। 

अच्छा..... मैं उदास हो गई। मन बुझ गया और वहीं दरवाज़े से टेक लगा मैं खड़ी हो गई। 

अपने रूम में जाओ अनाहिता, आज शाम तक तुम्हारी रिपोर्ट आ जाएगी। सब ठीक रहा तो उसके बाद तुम अपने घर जा सकती हो.... मेघना सिस्टर बोलीं।   

जैसे ही जाने को हुई, अचानक मेरा माथा ठनका..... अगर मम्मा का फ़ोन डिस्चार्ज है तो किरन सिस्टर ने उनसे कैसे बात की.....!!!! 

मुड़ी ही थी कि मेरी निगाह टेबल के नीचे रखे टिफ़िन बाॅक्स पर पड़ी। 

ये तो मम्मा का टिफ़िन है.... अगर मम्मा कल नहीं आई थीं तो ये टिफ़िन यहां कैसे आया ???? 

यहां कोई टिफ़िन भी है, इस बात का पता शायद उन्हें भी नहीं था इसलिए वो दोनों देखने के लिए टेबल के इस तरफ़ आ खड़ी हुईं। 

कुर्सी के पायों के पीछे छिपा रह गया था ये टिफ़िन, इसीलिए कल से किसी का ध्यान ही नहीं गया होगा इस पर। 

ये.....ये तो वही टिफ़िन है ना जिसमें ममता दीदी मालपुए लेकर आई थीं। मुझे लगता है कल वो ले जाना भूल गईं.... मेघना सिस्टर ने बात संभालने की कोशिश की। 

मैंने झपट के वो टिफ़िन उठा लिया। जैसे मैंने न उठाया तो कोई और ले जाएगा। 

पर ये टिफ़िन तो बहुत भारी है। मैंने टेबल पर ही उसे खोलना शुरू कर दिया। मूंग दाल का हलवा, राजमे की सब्जी, भरवा कचौड़ियां और बूंदी का रायता..... मेरी आँखों में आंसू आ गए। परसों रात ही तो बताया था कि मुझे खाने में ये सब बहुत पसंद है। 

अरे हाँ, याद आया.... ममता दीदी के कोई पड़ोसी पुलिस में हैं। उन्हीं के हाथ कल शाम को टिफ़िन भिजवाया था। मरियम ने ये भी बताया था सुबह मुझे, साॅरी मैं तो भूल ही गई थी। तुम्हें नींद की दवा दी गई थी ना.... तो तुम सो रही थी। इसीलिए बता नहीं पाया होगा कोई.... किरन सिस्टर ने दिलासा देते हुए कहा। 

मैंने आंसू पोंछते हुए टिफ़िन समेटा और अपने रूम की तरफ़ चल पड़ी। 

इस स्टाफ़ रूम में आने से पहले मेरा मन आसमान से होड़ कर रहा था और जाते वक्त पाताल की गहराईयों से सामना। 

हारे हुए सिपाही की तरह मेरे कदम, चलते हुए बहुत भार लेकर बढ़ रहे थे। हे ईश्वर, अब मुझे यहाँ नहीं रहना। मुझे मेरी मम्मा के पास जाना है। प्लीज़, मेरी रिपोर्ट निगेटिव ही आए। मैं मन-ही-मन भगवान से प्रार्थना कर रही थी। 

पर मैं यहाँ से जाऊंगी कैसे....!!!! बाहर तो लाॅकडाउन लगा है। क्या एंबुलेंस से मुझे घर छोड़ेंगे..... अगर एंबुलेंस से ही भेजेंगे तो क्या मेरे एड्रेस पर छोड़ने के बजाय मम्मा के पास, उनके घर... हमारे घर पर छोड़ सकते हैं....!!!! 

इस ख़्याल ने मुझमें जान फूंक दी। मैं फ़ौरन मुड़ी ये बात कंफ़र्म करने के लिए। लेकिन स्टाफ़ रूम से कुछ पहले ही उन आवाज़ों ने मुझे सावधान किया जो बहुत धीमे स्वर में की जा रही थीं।




✍️✍️ प्रियन श्री ✍️✍️

16 comments:

  1. अगले भाग की प्रतीक्षा में

    ReplyDelete
  2. वाह, अप्रतिम !!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत - बहुत शुक्रिया भईया 🙏

      Delete
  3. Ati uttam kriti ko pradarshit kiya h aapne...ati uttam

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर।।
    ��������

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत शुक्रिया 🙏

      Delete
  5. दीदी बहोत ही सुंदर ....


    बहोत खुब

    ReplyDelete
  6. Nice story 👌👌

    हर्ष परमार

    ReplyDelete

नव सृजन

🌺🌺 नया जन्म - (भाग 11) 🌺 🌺

पिछला भाग यहां पढ़ें 👈 सारी रात घड़ी के कांटों में उलझी रही। आसपास एक घनी चुप्पी ने मौका पाकर अपना साम्राज्य खड़ा कर लिया था.... पर इस चुप्...

सर्वाधिक लोकप्रिय