अपने दावों को पुख़्ता करने के लिए उन्होंने 3 सवाल भी किये-
1. जिस अयोध्या का दावा भारत के उत्तर प्रदेश में किया जाता है, वहां से सीता विवाह करने के लिए भगवान राम जनकपुर कैसे आए?
2. उस समय कोई फोन नहीं थे तो उन्होंने संवाद कैसे किया?
3. उस दौरान विवाह केवल पास के राज्यों में होते थे। कोई भी शादी करने के लिए इतनी दूर नहीं जाता था।
हालांकि नेपाल के ही एक सांसद ने इस पर प्रश्न किया कि यदि अयोध्या नेपाल में है तो सरयू नदी कहाँ है ? गौरतलब है कि आदिकवि वाल्मीकि से लेकर अन्य भारतीय भाषाओं में से किसी में भी श्री राम के नेपाली होने का ज़िक्र नहीं है। इनकी रचना भी आधुनिक भारत से पूर्व की है अतः जानबूझ कर ऐसा किया हो, संभव नहीं है। बहरहाल, यदि आपको लगता है कि ये धार्मिक मसला है तो आप भी गफ़लत में हैं.... कैसे, आइए जानते हैं...
दरअसल ये पूरा मामला राजनैतिक है। नेपाल में इस समय खड्ग प्रसाद शर्मा 'ओली' के नेतृत्व में CPN-UML और पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' के नेतृत्व में CPN- माओवादी की वामपंथी गठबंधन की सरकार है। इस समय दोनों पक्षों में सरकार के नेतृत्व को लेकर ज़बरदस्त खींचतान मची हुई है।चूंकि ये एक कम्युनिस्ट सरकार है तो स्वभावतः चीन के करीब है, जो इस समय कोरोना वायरस के कारण चहुंओर से घिरा हुआ है। जिससे ध्यान भटकाने के लिए वो आक्रामक रणनीति अपना रहा है। दक्षिणी चीन सागर में बढ़ती गतिविधियाँ, ऑस्टेलिया के साथ विवाद, ट्रेड वार और हाल ही में भारत की गलवान घाटी में अतिक्रमण तथा ख़ूनी मुठभेड़ इसके ज्वलंत उदाहरण हैं।
वो हर देश जो चीन को वैश्विक स्तर पर घेरने की कोशिश कर रहा है। चीन उसके साथ बुरी तरह उलझ रहा है और भारत से तो उसकी पुरानी दोस्ती है- "हिंदी - चीनी, भाई - भाई", जिसकी आड़ में वो भारत की जड़ खोदता रहता है। उसी के प्रभाव में ओली कभी अपनी सरकार को अस्थिर करने, तो कभी सांस्कृतिक दमन का आरोप, भारत पर लगाते हैं। हालिया विवादों की शुरुआत तब से होती है जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 8 मई को उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे को धारचुला से जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 80 km लंबी सड़क का उद्घाटन किया था। इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नेपाल ने कहा कि यह सड़क नेपाली क्षेत्र से होकर गुजरती है।
इसके पूर्व अगस्त, 2019 में जब भारत ने J&k को केंद्र शासित प्रदेश में तब्दील किया और नया नक्शा जारी किया, तब भी उसने विरोध किया था। इसके लिए उसने अपने नक्शे में संशोधन कर उत्तराखंड से लगे लिपुलेख, कालापानी तथा लिंपियाधुरा क्षेत्र को शामिल कर लिया है । पड़ोसी देशों में सीमा विवाद कोई नई बात नहीं है लेकिन ऐसी आक्रामकता निःसंदेह चीन का असर है। इस परिप्रेक्ष्य में एक नाम उभरता है - हाओ यांकि, ये 2018 से नेपाल में चीन की राजदूत हैं।
वर्तमान नेपाली राजनीति में इनका काफ़ी दख़ल है। हालिया राजनीतिक खींचातानी को कम करने के लिए वो सांसदों के संपर्क में थीं। यहां तक कि बिना विदेश मंत्रालय को सूचित किये उन्होंने राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी से मुलाकात भी की। इस प्रोटोकॉल उल्लंघन पर विदेश मंत्रालय ने भी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। वैसे काबिलेगौर है कि ऐसी बाहरी दख़लंदाजी नेपाल की संप्रभुता के लिए भारी पड़ सकती है। हालांकि कुछ सांसद और छात्र समूह इसका मुखर विरोध कर रहे हैं।
नेपाल एक ऐसा राष्ट्र है जिसके साथ भारत का रोटी-बेटी का संबंध रहा है। यानि कि दोनों तरफ़ के लोग रोज़गार और वैवाहिक संबंधों द्वारा जुड़े हैं। लेकिन हाल ही में नेपाल एक नागरिकता संशोधन विधेयक लाया है जिसके अनुसार यदि भारत की कोई महिला, किसी नेपाली पुरूष से विवाह करती है तो उसे प्राकृतिक नागरिकता 7 साल बाद मिलेगी। जबकि भारत में नेपाली बहुओं के लिए ऐसा कानून नहीं है। नेपाली तराई के मधेशी बहुल क्षेत्रों में इसका प्रभाव पड़ना लाज़मी है।
नेपाल जैसे निकट मित्र का ऐसा व्यवहार चिंतनीय है। हालिया समय में बांग्लादेश, श्रीलंका और मालदीव से भी भारत को झटके मिल चुके हैं। ये हालात परेशान करने वाले हैं जबकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति के लिए एक स्थिर तथा मज़बूत भारत की दरक़ार है।
वैसे बात अगर PM ओली के दावों की करें तो अलेक्जेंडर का यूनान से भारत आना भी असंभव है और पुर्तगाल, हाॅलैंड और ब्रिटेन का एशिया तथा अफ्रीका को उपनिवेश बनाना तो नामुमकिन ही समझो.... तो क्या इनका इतिहास फिर से लिखने की ज़रूरत है...!!!
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✍️✍️ प्रियन श्री ✍️✍️
Good article ��
ReplyDeleteSuyash dixit
Blog उच्च लेखनी के साथ अच्छा लिखा गया है,पर हम यह कहेगे कि इन विषयो को हम ही बढावा देकर हम ही तनाव लेते है जिससे वो मुल्क अपने देश मे राजनीतिक लाभ उठाते है और हम भी व्यर्थ की बातो मे उलझकर इन्हे बढावा देते है,दूसरे विषयो से भटकाव का यह नवीन धार्मिक रास्ता है,प्रश्न अब ये है कि क्या औली के कहने से क्या हम अयोध्या को नही मानेंगे ? इनको avoid करो तो ये कसमसाऐगे । फिर ये खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे वाली ,स्थिती मे आ जाऐगे ।
ReplyDeleteसही कहा बंधु🙏
DeleteExcellent
ReplyDeleteबहुत - बहुत आभार 🙏🙏
Deleteबेहद सटीक लिखा है आपने👍👍
ReplyDeleteजी आभार 🙏🙏
Deleteek dum aram se likha gaya hain....keep it up
ReplyDeleteजी आभार 🙏... किंतु हम आपका तात्पर्य समझे नहीं बंधु..!!!
ReplyDeleteसही लिखा है आपने.....सियासत के चक्कर में भगवान को भी नहीं छोड़ा इन्होंने.....पर कम से कम बोले तो सोंच समझ कर....पूरे विश्व में थू थू करा ली.
ReplyDeleteसही कहा आपने 😂👍
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteआभार 🙏🙏
DeleteVery good article
ReplyDeleteGood job keep it up
Mr.K.K
धन्यवाद 🙏🙏
Deleteअच्छा आलेख। वर्तमान घटना की अच्छी जानकारी।
ReplyDeleteआभार
DeleteExcellent
ReplyDeleteबहुत - बहुत आभार 🙏
ReplyDeleteVery Nice Article
ReplyDeleteआभार 🙏🙏
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