Saturday 13 June 2020

☘️☘️...चेहरा... ☘️☘️

चेहरा....

जिसके उंचे उठे माथे में झलकता है,
एक स्त्री होने का गर्व ।

जिसकी भंवों के बीच बनते-बिगड़ते मोड़,
जाने किन उलझनों को रास्ता दिखाते हैं ।

जिसकी आधी झुकी पलकों पर बसती है चिंता,
अपनी प्राणप्रिया संतति के उज्जवल भविष्य की।

जिसकी शांत - गंभीर आंखों की गहराईयों में दफ़्न हैं,
जाने कितने ही अपमान, तिरस्कार और अभाव ।

जिसकी मुस्कान में छुपा है सुकून,
अपने सारे कर्तव्यों को सफलतापूर्वक पूरा करने का।

जिस पर तेज है एक विजेता का क्योंकि 
नतमस्तक है उस पर उंगलियाँ उठाने वाला समाज। 

जिसके फूल से कोमल गालों को चूमकर, 
होती है मेरे दिन की नयी शुरूआत। 

वो चेहरा मेरी माँ का है.... 

✍️✍️प्रियन श्री ✍️✍️


12 comments:

नव सृजन

🌺🌺 नया जन्म - (भाग 11) 🌺 🌺

पिछला भाग यहां पढ़ें 👈 सारी रात घड़ी के कांटों में उलझी रही। आसपास एक घनी चुप्पी ने मौका पाकर अपना साम्राज्य खड़ा कर लिया था.... पर इस चुप्...

सर्वाधिक लोकप्रिय