जिसके उंचे उठे माथे में झलकता है,
एक स्त्री होने का गर्व ।
जिसकी भंवों के बीच बनते-बिगड़ते मोड़,
जाने किन उलझनों को रास्ता दिखाते हैं ।
जिसकी आधी झुकी पलकों पर बसती है चिंता,
अपनी प्राणप्रिया संतति के उज्जवल भविष्य की।
जिसकी शांत - गंभीर आंखों की गहराईयों में दफ़्न हैं,
जाने कितने ही अपमान, तिरस्कार और अभाव ।
जिसकी मुस्कान में छुपा है सुकून,
अपने सारे कर्तव्यों को सफलतापूर्वक पूरा करने का।
जिस पर तेज है एक विजेता का क्योंकि
नतमस्तक है उस पर उंगलियाँ उठाने वाला समाज।
जिसके फूल से कोमल गालों को चूमकर,
होती है मेरे दिन की नयी शुरूआत।
वो चेहरा मेरी माँ का है....
✍️✍️प्रियन श्री ✍️✍️
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद 🙏
Deleteबहुत खूब
ReplyDelete🙏
DeleteNice
ReplyDeleteधन्यवाद 🤗
DeleteVery nice....👌👌👌👌👌
ReplyDeleteMa ka chehra har dukh bhula deta hai.....😍
धन्यवाद 🤗
DeleteNice dear
ReplyDeleteधन्यवाद 🤗
DeleteExcellent ��
ReplyDeleteआभार 🙏
Delete