Friday 14 August 2020

🌺🌺 नया जन्म - (भाग 1) 🌺🌺

 मेरा सर तेज़ दर्द से फट रहा था... पर चाहकर भी मेरा हाथ सर तक नहीं जा पा रहा था। मेरा पूरा शरीर सुन्न पड़ चुका था। अपनी बची-खुची ऊर्जा समेट कर मैं बस अपनी आंखें ही खोल पाई। अधखुली आंखों के सामने जो सबसे पहले दिखा, वो था गहरा लाल रंग.... यानि कि मेरा ख़ून। बचपन से ही ख़ून देखकर मुझे घबराहट होती थी। चक्कर आने लगते थे... पर आज जैसे कुछ महसूस ही नहीं हो रहा सिवाय दर्द के... ।

मैं.... अनाहिता शर्मा।  मेरी नई-नई नौकरी लगी है इस शहर में। नया शहर, नये लोग... और नये रास्ते। ये तो अच्छा हुआ कि रहने के लिए फ़्लैट, मेरे कार्यालय के पास ही मिल गया इसलिए आने - जाने का खर्च बच जाता है। मैं हर रोज़ नये रास्ते ढूंढा करती कार्यालय जाने के... ताकि कोई नज़दीक का रास्ता ढूंढ सकूं।

आज भी एक नये रास्ते से घर लौट रही थी। ज़्यादा चहल-पहल नहीं थी। आम सड़कों की भाग-दौड़ से दूर। मुझे ऐसी शांत राहें हमेशा से पसंद हैं, जिनपे मैं सुकून से चल सकूं।... पर अचानक ही पीछे से एक ट्रक का हार्न सुनाई दिया। मुड़कर देखा तो सांसें थम गईं... ट्रक ऐसे चल रहा था जैसे उसके ब्रेक फ़ेल हो गये हों। मैं तुरंत ही रास्ते से उतर कर सड़क से दूर जाने लगी... पर होनी का लिखा कौन टाल सकता है..!! 

उसके बाद मेरी आंखें अब खुली थीं। तभी एक तेज़ रोशनी चमकी। सुना था कि मौत के ठीक पहले ऐसी ही रोशनी दिखाई देती है। दिल बैठ गया इस ख़्याल से। धीरे-धीरे कुछ सफ़ेद साये मेरी ओर बढ़ते दिखे। क्या मेरा अंत समय आ गया है...??? नहीं... अभी मुझे जीना है।

"हे ईश्वर, मुझे बचा लो।" जीवन भर नास्तिक रहने वाली मैं, आज इस आख़िरी वक्त में ईश्वर पर भरोसा कर रही थी। बस..... उसके बाद क्या हुआ, याद नहीं।

इस बार किसी की नर्म हथेलियों के स्पर्श से मेरी आंखें खुली। सामने सफेद कपड़ो में एक देवी नज़र आई। मुझे लगा मैं स्वर्ग पहुंच गई हूँ।

"अब कैसा लग रहा है बेटा....!!!" 

एक अर्से बाद ये शब्द सुन कर मन भींग गया। 

तुम्हारा एक्सीडेंट हो गया था। सीवियर ब्रेन इंजरी हुई थी... पर 4 डॉक्टरों की टीम ने 7 घंटे तक तुम्हारा आपरेशन किया। और अब तुम ख़तरे से बाहर हो।

क्यों.... मुझ अनाथ का क्या रिश्ता था उनसे जो उन्होंने मुझे बचाने के लिए इतनी मेहनत की..?? मैं बोल तो नहीं पा रही थी पर ऐसे कई विचार मन में आ रहे थे।

तभी डाॅक्टर आये। मेरा चेक-अप किया... और मैं सुन्न पड़ी ये सब देख रही थी। जाने से पहले उन्होंने मेरे सर पर हाथ रखकर कहा - "जल्दी से ठीक हो जाओ।" 

ये मेरी श्रद्धा थी या धन्यवाद.... मेरी आंखों से आंसू ढुलकने लगे।

ये वो "वाइट वारियर्स" थे जिन्होंने मौत से जंग लड़के मेरी ज़िन्दगी को जीता था....मेरे लिए...उपहारस्वरूप।


अगला भाग यहां पढ़ें 👈  


✍️✍️ प्रियन श्री ✍️✍️

33 comments:

  1. बहुत अच्छे��

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  2. अति सुंदर ��

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  3. 👌 👍 👌 👌 very good didi

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  4. बहुत ही उम्दा लेखन

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  5. Priyan write with ease her imagination is a mixture of experience and inborn talent keep writing dear

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    1. बहुत - बहुत शुक्रिया 🙏

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  6. Vah priyan G vah kya khoob likha hai apne

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    1. शुक्रिया 🙏, पाठकों की तारीफों से ही लेखक को प्रेरणा मिलती है।

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  7. Bahut Achha likha hai Apne 👌👌

    Harsh parmar

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया हर्ष जी 🙏

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  8. Replies
    1. बहुत - बहुत शुक्रिया 🙏

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  9. बहुत - बहुत शुक्रिया 🙏🙏

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  10. क्या बात बहोत खुब 👌👌

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  11. धन्यवाद बंधु, यदि कमेंट के नीचे अपना शुभ नाम लिखेंगे तो पहचानने में आसानी होगी 🙏

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