दो दिन हो गए पर ममता सिस्टर दिखाई न दीं। आमतौर पर वो 3-4 चक्कर लगा ही लेती थीं मेरे रूम के। कहीं मेरा उनकी बेटी के बारे में पूछना उन्हें बुरा तो नहीं लग गया...!!!
मैं भी कितनी बुद्धू हूँ। खुद मुझे पसंद नहीं कि कोई मेरे जीवन की बखिया उधेड़े तो क्या ज़रूरत थी उनके निजी जीवन के बारे में पूछ-ताछ करने की...!!! ये सोचकर खुद पर गुस्सा तो बहुत आ रहा था लेकिन फिर ये ख्याल भी मन में आता कि क्या ये इतनी बड़ी ग़लती है...???
एक बेचैनी सी हो रही थी मन में। बिल्कुल वैसे ही जैसे बचपन में सुबह मम्मा को अपने पास न पाकर होती थी। तब ज़ोर - ज़ोर से आवाज़ लगाकर उन्हें अपने पास बुलाती। मम्मा कहीं भी होती, भाग कर मेरे पास आतीं और खूब सारा दुलार करतीं। एक अरसे बाद ये एहसास फिर से मन में जागा लेकिन ये सोचकर खुद को समझाने लगी कि वो भला मेरे लिए ये भाव क्यों रखने लगीं..!!!
इसी उधेड़बुन में थी कि दरवाज़े पर आहट हुई। एकदम से लगा कि ममता सिस्टर होंगी। दरवाज़ा खुला तो देखा, मेघना सिस्टर थीं। मेरी शाम की दवा लेकर आई थीं। अचानक से चेहरे पर आई चमक, उदासी में तब्दील हो गई। जाने कैसे उन्होंने मेरे मनोभाव भांप लिये और हाथ पर लगे वीगो में दवा इंजेक्ट करते हुए कहा - कुछ पूछना है ?
मैं चौंक गई। क्या मेरा चेहरा मेरी बेचैनी बयाँ कर रहा है..!!!
मेरी हाथ की नसों को हल्के - हल्के सहलाते हुए वो मुस्कुराईं।
कुछ कहना चाहती हो..??
जी वो ममता सिस्टर नहीं दिखाई दे रहीं दो दिनों से। वो ठीक तो हैं ना... मेरा मतलब छुट्टी पर हैं क्या ??? मैं एक ही सांस में बोल गई।
सुनते ही वो ज़ोर से हंस पड़ीं।
मतलब उन्होंने तुम्हें भी अपना दिवाना बना लिया। हमारी ममता दीदी हैं ही ऐसी। जो भी उनसे मिलता है, बस उन्हीं का हो जाता है।
मैं अभी भी एकटक उन्हें देखे जा रही थी। वो समझ गईं कि ये मेरे सवाल का जवाब नहीं था।
वो ठीक हैं.... बस थोड़ी उदास हैं। शायद इसीलिए तुमसे मिलने नहीं आईं।
जी धक् से हो गया कि कहीं मेरी ही वजह से तो नहीं..!!! हिम्मत बांध कर बस इतना ही पूछ पाई - क्यों उदास हैं..??
आज उनकी बेटी का जन्मदिन है। हमेशा हंसती-मुस्कुराती रहने वाली ममता दीदी, इन दिनों उदास हो जाती हैं।
मेरी जिज्ञासा ने ज़ोर मारा। कहाँ है उनकी बेटी सिस्टर...??
वो इस दुनिया में नहीं है... एक लंबी सांस भरते हुए मेघना सिस्टर ने कहा।
क्या... कब, कैसे....??? मेरे मुंह से बेसाख़्ता निकल पड़ा।
बहुत छोटी थी, जब पैसों की कमी के कारण उसका इलाज नहीं हो पाया और वो चल बसी।
ममता दीदी ने बहुत दुःख झेले जीवन में... पर ये सबसे बड़ा दुःख था। लेकिन बहुत हिम्मती हैं वो, तभी तो आज यहाँ हैं। अपनी इकलौती औलाद को खो देने के बाद उन्होंने जैसे प्रण ही ले लिया कि वो अपने सामने किसी को भी पैसों की कमी के कारण दम नहीं तोड़ने देंगी। तुम्हारे इलाज का ज़िम्मा भी उन्होंने ही उठाया है।
मैं अवाक् रह गई ये सुनकर। मुझे निःशब्द देख उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रखा, तब जाकर मुझे कुछ सुध आई।
तुम्हें एक बात बताऊँ.... ममता दीदी इन दो दिनों में भले ही तुमसे मिलने न आई हों, पर ड्यूटी आने के बाद और जाने से पहले दरवाज़े के कांच से तुम्हें दो पल के लिए ज़रूर देखती हैं।शायद कुछ ख़ास लगाव हो गया है उन्हें तुमसे।
मैं इस निगाह से उनकी तरफ़ देख रही थी जैसे पूछ रही हूँ - क्या सच में....!!!!
आज नाईट शिफ़्ट है उनकी। जब वो ओवर लेने आएंगी तो उन्हें बता दूंगी कि तुम उन्हें याद कर रही हो। देखना, बहुत खुश हो जाएंगी.... कहकर मेघना सिस्टर चली गईं।
उनके जाने के बाद मेरी निगाहें सामने घड़ी पर अटक गईं। आज से पहले घड़ी को इतनी गौर से कभी नहीं देखा था। ये सेकेंड की सुई इतने धीरे कब से चलने लगी... और एक मिनट तो जैसे पांच मिनट में बीत रहा था। कब आठ बजेंगें और कब वो दया की मूर्ति मुझे दर्शन देगी...!!!
जैसे - तैसे करके एक घंटा बीता। घड़ी की सुईयों के आठ बजाते ही मेरी आंखें दरवाज़े पर टंग गईं। वो ड्यूटी पर आएंगी तो ज़रूर मुझे देखने आएंगी.... दो पल के लिए ही सही। तभी कांच के उस पार मुझे दो आंखें दिखीं। मुझे अपनी ओर देखते जान वो आंखें पहले तो कुछ पीछे हुईं और फिर ओझल हो गईं। क्या ये वही थीं....!!!!
✍✍️ प्रियन श्री ✍️✍️
बहुत सुन्दर रचना.....keep it up....👌👌👌👌
ReplyDeleteबहुत - बहुत शुक्रिया 🙏🙏
DeleteSri when she writes she lives with her characters
ReplyDeleteThank you very much 😊🙏
DeleteBahut achha laga part-4
ReplyDeleteNext part ka wait rahega
Keep it up
बहुत जल्द आपका इंतज़ार ख़त्म होगा... शुक्रिया 🙏🙏
DeleteNice...
ReplyDelete👌👌
शुक्रिया 🙏🙏
DeleteNice 👌👌
ReplyDeleteHarsh parmar
शुक्रिया 🙏
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